नापतोल विभाग और कांटे सुधारक की सांठगांठ से सील सत्यापन के नाम पर वसूली
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नापतोल विभाग और कांटे सुधारक की सांठगांठ से सील सत्यापन के नाम पर वसूली
संवाददाता यशवंत मेंवाड़ें
खिलचीपुर। नापतोल विभाग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करें। उपभोक्ताओं के साथ व्यापारी सही तोल मोल करें। लेकिन नापतोल विभाग में ही इतनी बड़ी पोल है कि व्यापारी चाहकर भी इस विभाग की पोल से नहीं निकल पाते। धर्म कांटे ,कपड़ा व्यापारी के मीटर,गल्ला एवं किराना व्यापारी के बांट,तोल कांटों के साथ आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कांटों के सत्यापन और सुधारने के नाम पर विभागीय सांठगांठ से नाप तोल नियंत्रक मीना मंडल के सामने ही अनुज्ञप्ति धारक कांटा सुधारने वाले शिविर लगाकार मनमाना शुल्क वसूल रहे हैं।
खिलचीपुर कृषि उपज मंडी के निकट दो दिन तक नापतोल विभाग द्वारा कांटा बाट सत्यापन एवं इलेक्ट्रॉनिक कांटों को सुधारने हेतु शिविर आयोजित किया गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक खिलचीपुर नापतोल विभाग के शिविर में लगभग 250 व्यापारियों को पूर्व सूचना दी गई। यह आंकड़ा भी गले नहीं उतरता आखिर खिलचीपुर जैसे शहर में किराना,होटल,गल्ला व्यापारी के महज 250 ही प्रतिष्ठान है क्या? शिविर में अनेक व्यापारियों ने मौखिक शिकायत करते हुए बताया कि एक तरफ मंडी में तोल कार्य चल रहा है ऐसे में कांटे सुधारने पर हमें दिक्कत हो रही है , मंडी अवकाश के दिन शिविर लगाना था। वहीं अपना नाम ना छापने की शर्त पर चुनिंदा व्यापारियों ने मौखिक शिकायत में बताया कि शासकीय शुल्क 200 रुपए की बजाय 500 रूपए वसूले जा रहे हैं, जिसमें 300 रूपए कांटा सुधारने सफाई करने सहित अन्य कार्य के वसूले जा रहे हैं जबकि रसीद में दर्शाया कार्य कांटा सुधारक द्वारा नहीं किया जा रहा है।
।। नापतोल विभाग का मूल कार्य ।।
नापतोल विभाग सीधा जनता से जुड़ा विभाग है जिसका जिम्मा है कि बाजार में प्रचलित तराजू ,तौर कांटा बाट ,मीटर की समय समय पर जांच कर रिपोर्ट विभाग को दे।जबकि नापतोल विभाग बड़े बड़े धर्म कांटों, पैकेजिंग कंपनियों से सांठगांठ कर उनकी अनियमितता को नजर अंदाज कर छोटे मोटे व्यापारियों से साल में एक बार कांटा बाट अपडेट करने का मनमाना शुल्क वसूल रहा है। नापतोल विभाग की अहम जिम्मेदारी तो यह है कि उपभोक्ताओं के साथ , पेट्रोल पंप पर कोई गड़बड़ी तो नहीं है।राशन की दुकानों पर अनाज कम तो नहीं तोला जा रहा है।कांटा बाट दुरूस्त है या नहीं , पैकेजिंग सामान पर एम.आर.पी. सही है या नहीं,पैकेट पर कंजूमर नंबर सहित उसका वजन एवं एक्सपायरी डेट लिखी है या नहीं ।
लेकिन इन तमाम नियम कायदों से नापतोल विभाग का कोई लेना देना नहीं है बस कांटा बाट सुधारने के नाम पर और सत्यापन के नाम पर साल में एक बार वसूली कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।
।। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ।।
खिलचीपुर कृषि उपज मंडी के निकट नापतोल विभाग के शिविर में कांटा बाट सत्यापन और सुधारने के नाम पर चल रही सुधारक और विभागीय सांठगांठ की जानकारी लगने पर जब कुछ पत्रकार कवरेज करने पहुंचे जिनके साथ एक व्यापारी का किशोरावस्था का बालक भी साथ था ।जब पत्रकारों ने मनमाने शुल्क पर सवाल खड़े किए तो नापतोल विभाग की नियंत्रक मीना मंडल द्वारा पत्रकारों को ही आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस किशोर को आप लाए हो यह नाबालिग है । नाबालिग से कांटा उठवाया गया जिसकी में थाने में शिकायत करती हूं।
जबकि मेडम यह भूल रही है कि क्या किसी बालक द्वारा घर का ही काम करना बाल श्रम की श्रेणी में आता है।आखिर जिम्मेदार अधिकारी भी किस तरह अपनी ग़लती पर पर्दा डालने की कुचेष्टा की जाती है।
।।अलग अलग रसीदें ।।
खिलचीपुर कृषि उपज मंडी में कांटा सुधारने एवं सत्यापन करने हेतु नापतोल विभाग के शिविर में व्यापारियों को जो रसीदें दी जा रही थी उनमें अनुज्ञप्ति धारक कांटा सुधारक एजेंसी यश इलेक्ट्रॉनिक्स की रसीद में लाइसेंस नंबर 2015,के अंकित है जिनका सन 2022 में नवीनीकरण किया गया । फिर
जब पत्रकारों ने हस्तक्षेप किया तो उसी तारीख में कांटा सुधारक एवं सत्यापन करने वाली एजेंसी बदलकर गौरव इलेक्ट्रॉनिक्स की रसीदें व्यापारियों को दी गई जो शंकास्पद।
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